प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि गणतंत्र दिवस की परेड भारत की महान सामाजिक-सांस्कृतिक विरासत और सामरिक शक्ति तथा विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के संविधान के प्रति नमन का प्रतीक है। गणतंत्र दिवस की परेड में हिस्सा लेने आए राष्ट्रीय कैडेट कोर और राष्ट्रीय सेवा योजना के कैडेट तथा झांकियों के कलाकारों से अपने आवास पर बातचीत करते हुए श्री मोदी ने कहा कि जब वे राजपथ पर अपने जिजीविषा का प्रदर्शन करते हैं, तो प्रत्येक देशवासी का हृदय उत्साह और ऊर्जा से भर जाता है। उन्होंने कहा कि जब वे राष्ट्र की समृद्ध कला, संस्कृति, परम्परा और धरोहर को पेश करते हैं, तो देशवासी गर्व से भर जाते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि गणतंत्र दिवस की तैयारियों के दौरान उन्होंने देश की विविधता का अनुभव अवश्य किया होगा। उन्होंने कहा कि देश में बहुत सारी भाषाएं, बोलियां तथा विभिन्न तरह के खान-पान हैं, लेकिन भारत एक है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हम में से हर किसी को देश की आजादी की लड़ाई में बलिदान देने का अवसर नहीं मिला, लेकिन देश ने हमें हर तरह के अवसर उपलब्ध कराए। उन्होंने कहा कि हमें वह सब करना चाहिए, जिससे देश मजबूत हो सके।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की सामूहिक शक्ति का तात्पर्य आम आदमी का रक्त, पसीना, आकांक्षा और अपेक्षाएं हैं। उन्होंने कहा वोकल फॉर लोकल का उद्देश्य स्थानीय स्तर पर बन रही वस्तुओं का सम्मान करना और उन्हें प्रोत्साहन देना है। श्री मोदी ने कहा कि वोकल फॉर लोकल की भावना से मजबूती आएगी और एक भारत श्रेष्ठ भारत की भावना सशक्त होगी। उन्होंने कहा कि विभिन्न राज्यों के उत्सवों और परम्पराओं के संबंध में और ज्यादा जागरूक होना चाहिए। विशेषतौर पर आदिवासियों की समृद्ध परम्पराओं, कलाओं और शिल्प से राष्ट्र बहुत कुछ सीख सकता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि एक भारत श्रेष्ठ भारत अभियान इस दिशा में बढ़ने में मदद कर रहा है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 में कौशल की उपयोगिता को देखते हुए कौशल विकास के लिए अलग मंत्रालय का गठन किया गया और अभी तक तकरीबन साढ़े पांच करोड़ युवाओं को विभिन्न कला और कौशल में प्रशिक्षित किया जा चुका है। श्री मोदी ने कहा कि भारत केवल कहने के लिए ही आत्मनिर्भर नहीं होगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह युवाओं के द्वारा संभव होगा और वे अपने आवश्यक कौशल के साथ अच्छा प्रदर्शन कर सकेंगे।
उन्होंने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में कौशल पर ध्यान केन्द्रित किया गया है और व्यावहारिक ज्ञान पर जोर दिया गया है। उन्होंने कहा कि इस नीति का एक प्रमुख पहलू विषय चयन के लिए अपनाया गया लचीला रुख है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस नीति में शिक्षा की मुख्यधारा में व्यावसायिक शिक्षा को लाने का पहली बार गंभीर प्रयास किया गया है। उन्होंने कहा कि कक्षा छह से छात्र अपनी रूचि, स्थानीय जरूरतों और व्यवसाय के अनुसार पाठ्यक्रम का चयन कर सकेंगे। माध्यमिक स्तर पर शैक्षिक और व्यावसायिक शिक्षा के विषयों में एकीकरण का प्रस्ताव किया गया है।
श्री मोदी ने युवाओं से कोविड-19 के टीकाकरण में मदद करने के लिए आगे आने की अपील की। उन्होंने कहा कि उन्हें निर्धनों और आम जनता को सही सूचना उपलब्ध करानी है और इस संबंध में गलत सूचनाओं और अफवाहों की प्रक्रिया को ध्वस्त करना है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस वर्ष भारत अपनी स्वतंत्रता की 75वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है। इसके साथ ही देश गुरु तेगबहादुर जी का 400वां प्रकाश पर्व भी मना रहा है। इसी वर्ष नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की 125वीं जयंती भी है, जिसे पराक्रम दिवस के रूप में घोषित किया गया है। उन्होंने कहा कि ये घटनाएं हमें राष्ट्र के प्रति अपने आपको पुन: समर्पित करने के लिए प्रेरित करती हैं।
इस अवसर पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, जनजातीय मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा, युवा मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू और जनजातीय मामलों की राज्य मंत्री रेणुका सिंह सरूता भी मौजूद थे।